चीन की छोटे से गांव में एक लड़का अपनी दादी के साथ रहता था।
लोग
उसे नगर के बारे में बताया करते थे और सारी कहानियां सुनते थे और उसे नगर के छोटे
छोटे राज्य कौन सी जगह पर क्या है। इन सब के बारे में जानकारियां देती रहती थी।
लड़के को शुरू से बहुत शौक था पहाड़ों पर चढ़ने का और नई जगह पर जाने का लेकिन
दादी उसे हमेशा रोक देती थी और कहती थी अभी तुम्हारी उम्र छोटी है और तुम्हारा
कहीं भी जाना खतरे से खाली नहीं है। तुम अभी घर पर रहो लेकिन सियांग अपनी दादी की
एक भी नहीं मानता था।
मुझे उसे पहाड़ की चोटी पर पहुंचना है
एक
दिन दोनों छत पर बैठे सितारों को देख रहे थे शिवानी की पहाड़ी के ऊपर देखा पूछा की
दादी उसे पहाड़ी के ऊपर क्या है हमारे गांव की सबसे छोटी वही है मैं छोटी को जाना
चाहता हूं मुझे तुम बताओगे ओटीपी क्या है लेकिन दादी उसे उसके बारे में कुछ नहीं
बताएं काफी बड़ा हो गया लेकिन जितना ही बड़ा होता उसका बहुत परेशान होने लगी उसका
मन पढ़ाई में बिल्कुल नहीं लगता था कैसे भी करके मुझे दुनिया घुमानी है दादी ने
उसे बहुत डाटा लेकिन फिर भी नहीं माना कि तुम आखिर बताते क्यों नहीं हो कि पहाड़ की
चोटी पर ऐसा क्या है क्योंकि गांव में सबसे और वहां पर जाना चाहता हूं जाने के बाद
गांव कैसा दिखता है।
डालिए गुस्सा आया गुस्से में जवाब दिया तू पड़ता
है नहीं और तुझे पहाड़ पर चढ़ता है तुमने आवारा दोस्त बना लिए दिन भर बस तुम समय
को बर्बाद करते हो और तुम पढ़ते भी नहीं हो रहे तो भला कैसे काम चलेगा तुम अपनी
जिंदगी को बर्बाद कर रहे हो सॉरी प्लीज एक बार तुम मुझे बता दो ना कुछ पहाड़ की
चोटी पर ऐसा क्या है जिसके बारे में तुम बताती नहीं हो प्लीज तुम एक बार मुझे बता
दो कि पहाड़ पर क्या है मैं एक बार वहां से हो जाऊं फिर उसके बाद में जीजा नहा कर
मेहनत करूंगा हर दिन पढ़ूंगा अच्छे नंबर लाकर भी दिखाऊंगा क्लीन करो मैं तुमसे
वादा करता हूं दादी ने बोला चल ठीक है नहीं मानता है तो मैं तुझे उसे पहाड़ के
बारे में बताती हूं छोटी पर एक मोंक रहते हैं इस गांव की रक्षा करते हैं विद्वान है।
और उन्हें हर चीज के बारे में पता है लेकिन वहां
पर जाने का रास्ता इतना खतरनाक है कोई भी आसानी से नहीं पहुंच सकता जाने के लिए
तुम्हें कठिन रातों से गुजरना पड़ेगा इतनी ऊंची चढ़ाई और वह भी इतनी मुश्किल जो
तुम्हारे बस की बात नहीं है के लोग कहते हैं कि वहां पर वही इंसान पहुंच सकता है
जिसके मन में कोई निशा हो जिंदगी में कोई सपना रखता हूं आज तक कोई भी वहां पर
फालतू इंसान नहीं पहुंच पाया और कोई कोशिश तू नहीं पहुंच पाता है बस इतनी सी बात
है अब तो मेरी भी छोड़ दो मैं तुम्हें वहां पहुंच कर दिखाऊंगा और तुम यह भी बताऊंगा
कि वहां पर रहने वाले मांग कैसे दिखते हैं
वहां पर जाने की तैयारी करने लगा अपने दोस्तों
को बुलाया और सब को समझा दिया कि कल सुबह मैं पहाड़ पर चढ़ने की तैयारी करूंगा
वहां का रास्ता नहीं पता था वहां की चढ़ाई शुरू करते थे दोस्त था जिसके पास कंपास
था जिसके यात्रा की जानकारी लेकर वहां पर जा सकता था दोस्ती बोल भाई ठीक है मैं
तेरे लिए कल खाना लेकर आऊंगा यह तेरे लिए कंपास लेकर आएगा इसका एक और दोस्त था
जिसके पास एक बैलगाड़ी थी उसने बोला ठीक है मैं तुझे थोड़ी दूर तक उसे बैलगाड़ी पर
तुझे छोड़ दूंगा जिसकी मदद से तू थोड़ी दूर तो कम से काम आसानी से जा सकेगा बैग
में ढेर सारी चीज भर लिया ताकि उसे रास्ते में कोई दिक्कत ना हो की पूरी तैयारी
उसने शुरू कर दी धीरे धीरे एक घंटा बिटिया कोई भी दोस्त नहीं आया बोला था थोड़ी
दूर तक छोड़ देगा उसका भी कोई आता पता नहीं था पैदल यात्रा शुरू कर दे दूसरे दोस्त
जो खाना लेकर आने वाला था पता नहीं रहा मैं खाऊंगा क्या कैसे क्या खाए मैं जाऊंगा
कैसे दोस्त उसका कंपास लेकर आने वाला था।
आखिर में वह भी नहीं आया दिशा कहां पर ज्ञान
नहीं था कि कौन सी दिशा में जाना है और कैसे जाना अंत में बिना किसी के सहारे के
उसे जैसे करके चढ़ाई शुरू करी चढ़ते धीरे धीरे शाम हो गई अंधेरा हो गया लेकिन अभी
तक वह मंजिल थके हार गया बाग में हाथ डाला तो उसने देखा थोड़े खान की चीज रखी है
वह आप उसे दिशा का भ्रम हो रहा था कि और किस तरफ जाया जाए तभी उसे याद आया कि आदि
उसे गांव की कहानियां सुनाती थी कहानियों में गांव का नक्शा अक्सर समझाया करते थे
साड़ी के सीधे कर पर जाने से ऊपर जाने का रास्ता वही मिलता है थोड़ा और दिमाग पर
जोर डाला और चढ़ाई शुरू कर चढ़ती दो दिन बीत गए और आखिर में अब वहां पर पहुंचने
वाला था आज इतनी बुरी थी जैसे कि आप मर ही जाए क्योंकि उसने दो तीन दिन से ढंग से
खाना नहीं खाया था आखिरकार को कैसे भी करके पहाड़ की आखिरी छोर पर पहुंच गया जो
बहुत ही शानदार उससे बात कर पाए कितनी देर बाद जब उनकी आंख खुली कि तुम यहां पर
क्यों आए हो उनके सवाल है।
ऐसा
मानो जैसे उसके अंदर बदलाव ला दिया हो कोई भी चंचलता नहीं थी यहां पर आपके पास
सफलता का राज जाने आया हूं ना चाहता हूं क्या फिर जिंदगी में कामयाब होने के लिए
क्या जरूरी है अपनी जवाब दिया
मुझे उसे पहाड़ की चोटी पर पहुंचना है।
मंजिल जिसके लिए जीता मैं यहां से देख रहा हूं कि तुम जब चले थे तुम्हारे साथ कोई दोस्त भी थे जिनके आखिरकार वही चीज काम है जो तुम्हारी थी तुम्हारी सोच तुम्हारी मेहनत तुम्हारा संघर्ष और अंत में तुम्हारा ज्ञान दिशा का ज्ञान था क्योंकि दादी ने तुम्हें दिशाओं की कहानी सुनाई थी कहानियों के सबक से तुम्हें यहां के रास्ते पड़े थे की मदद से तुम इस पहाड़ की चोटी पर पहुंच सके दूसरा तुम्हें यकीन था कि वह दोस्त तुम्हारी मदद करेंगे आधे दूर तक भी छोड़ देंगे तो तुम्हारा काम बन जाएगा ऐसा कुछ नहीं हुआ जीवन का यही सत्य है मंजिल तुम्हारी है तैयारी और उसे पूरा करने की जिम्मेदारी यहां पर कोई तुम्हारा साथ नहीं देता जिंदगी अपनी भरोसे जीना सीखो पहाड़ पर सिर्फ इसलिए चढ़ सके क्योंकि तुम्हारे मन में पहाड़ की छोटी थी यह तुम्हारा लक्ष्य था और इसी मकसद से तुम इसमें चल रहे थे तो नहीं चढ़ पाए क्योंकि तुम्हें मुझसे मिलना था तुम्हारे मन में बार बार इस पहाड़ की छोटी थी अगर ऐसा नहीं होता तो तुम इस पहाड़ में कभी चल नहीं पाते इसलिए जीवन में एक मकसद का होना जरूरी है मकसद के बिना यहां किसी भी जीवन का कोई अर्थ नहीं तुम जीवन में क्या सीख सकते हो सकते हो सकते हो वही तुम्हारा अपना है इसीलिए हमेशा खुद को काबिल बना इन्वेस्ट करो सिख लोग वह तुम्हारा है कहां जाओगे वह तुम्हारा है और तुमने जो कुछ भी सीखा है तुम्हारे दिमाग में जो कुछ भी भरा है वही तुम्हारा है वही काम कर पाओगे इसीलिए उम्र सीखने की है देख रहा हूं कि तुम आगे चल रही है एक बहुत बड़े पर्वत रोही बनोगे बहुत बड़े पहाड़ की चोटी पर पहुंच गए और उसके पीछे सिर्फ एक ही मकसद होगा तुम्हारी आगे बढ़ाने की चाह थाने की उम्मीद तुम्हें आगे बढ़ेगी.